एक वक्त था
जब हम पलकों पर ख्वाबों को बुना करते थे
आज तू भी उन ख्वाबों का हिस्सा है
एक वक्त था
जब हम यूं ही कुछ लिखा करते थे
आज हर लफ्ज में तेरा किस्सा है
एक वक्त था
जब हमारे चेहरे पर किसी का पहरा ना था
आज हर लम्हा तेरी याद बनकर पिघलता है
एक वक्त था
जब दिल हमारी सुना करता था
आज बिना पूछे ही तेरी और निकल पड़ता है
एक वक्त था
जब हम खुदा के दर पर तुझे मांगा करते थे
आजकल तो तुझमें ही खुदा दिखा करता है…
@अभिषेक कुमार
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U caught me with ur words